पाइथागोरस का मूल दर्शन संक्षेप में इस प्रकार बताया जा सकता है : “संपूर्ण ब्रह्माण्ड सामंजस्य और संख्या है।” इसके अलावा ग्रीक शब्द हार्मोनी का एक और अर्थ है : अधिक परिशुद्ध रूप में यह सप्तक में एक संगीत अंतराल भी हो सकता है। सप्तक की खास विशेषता यह तथ्य है कि इसमें सभी लय शामिल होती हैं और हमेशा कम से उच्च करने के लिए लगातार अपनेआप को दोहराता है।
अपने अध्ययनों के लिए पाइथागोरस ने मुख्यत: एक मापन यंत्र का इस्तेमाल किया जो “एकतंत्री वाद्य” के रूप में जाना गया। यह सारंगी के समान एक लकड़ी का बक्सा होता है जिस पर लंबाई के अनुसार तार फैले हुए होते हैं। तारों के नीचे चित्रफलक को मुक्त रूप से घुमाया जा सकता है और विभिन्न लंबाईयां मापी जा सकती हैं।
अपने उपकरण की मदद से यह भलीभांति प्रदर्शित किया गया कि भुजाओं की लंबाई और आवृत्तियों (ध्वनि) में पारस्परिकता है।
संभवत: एक अनुभूति और एक वैज्ञानिक गणितीय संबंध के बीच एक सटीक सादृश्य अनूठी है।
क्योंकि हम सभी इस तथ्य के साथ बड़े हुए हैं कि हमारी इंद्रियां जैसा प्रत्यक्ष दुनिया के साथ हमारे संबंध के अनुसार स्पष्ट रूप से बहुत ही व्यक्तिपरक दिखाई देती हैं। उदाहरण के लिए यह विचार हमारे दैनिक जीवन में भी न्यतम परिलक्षित होता है, जैसे “यह देखने वाले की नजर पर निर्भर करता है”। इस तथ्य की अद्भुत खोज कि सुनना एक सही नियम को ग्रहण करने में सक्षम है इस अवधारणा को उल्ट देता है।
Baklayan® के अनुसार हार्मोनिक आवृत्ति थेरेपी को समझने के लिए, निम्नलिखित तथ्य, जिसे, प्रत्ये संगीत-वाद्य निर्माता को जानता है, अच्छी तरह ज्ञात होना चाहिए कि सभी संगीत वाद्यों का निर्माण इस सिद्धांत पर किया जाता है :
1 से ½ तक अनुपात आवृत्ति के दोहरे होने को निरूपित करता है और इसी प्रकार अगले सप्तक का वैसा ही नोट होता है। यही गणितीय अनुपात समान रूप से सप्तक के शेष नोट पर लागू होते हैं।
गा (G) स्ट्रिंग लंबाई के संबंध में सा (C) से तीसरे स्थान पर स्थित है; इस प्रकार यह एक से तीन : 1/3 के अनुपात के अनुरूप है। सप्तक के अन्य स्वर भी इसी तरह गणितीय सुसंगत संबंधों पर आधारित हैं।
अंतालों की तालिका
अंतराल | सप्तक | पंचम | तृतीय मुख्य | तृतीय गौण | चतुर्थ | गौण षष्टम | मुख्य षष्टम | संपूर्ण स्वर |
आवृत्ति अनुपात | 2:1 | 3:2 | 5:4 | 6:5 | 4:3 | 8:5 | 5:3 | 9:8 |
प्राकृतिक स्वास्थ्य पेशेवर बेकलेयन को यकीन था कि सभी शिरोबिंदु प्रणालियों सहित शरीर और अंग अपनी कार्यप्रणाली में ऐसा ही आनुपातिक समाहित किए हुए हैं। 20 वर्षों के अनुसंधान में इस संबंध को सिद्ध करना ही उन्होंने इस संबंध को सिद्ध करना अपना मिशन बना लिया। अंतत: उन्हें 2010 में सॅलता हासिल हुई और फिर अपने परिणामों को प्रकाशित करवाया।
शिरोबिंदु मूलभूत आवृत्तियों को निर्धारित करना एक सफलता थी। इसका परिणाम डायमण्ड शील्ड प्रोग्राम की 24 आवृत्तियों के रूप में निकला।
उनकी सुरक्षा और प्रभावकारिता के कारण ये आवृत्तियां आगामी विचार करने के लिए शुरूआती बिंदु हो सकती थी।
लगभग 20 वर्षों के अनुसंधान के पश्चात उन्हें दो तथ्यों के बारे में जानकारी हुई जो असल में बहुत पहले से ही ज्ञात थे :
- यह कि मुख्य बारह शिरोबिंदु होते हैं
- यह कि एक सप्तक के मध्य 12 सुर होते हें, यदि आप अर्द्धसुरों की भी गणना करें।
इसके अतिरिक्त, परंपरागत चीनी चिकित्सा में हजारों वर्षों से यह ज्ञात था कि एक शिरोबिंदु से दूसरे शिरोबिंदु तक शक्ति का स्थानांतरण एक ध्यानपूर्वक निर्धारित क्रम का पालन करता है। इस घटना ने पश्चिमी जगत में मुख्यत: चीनी अंग घड़ी के माध्यम से प्रतिष्ठा हासित की। प्रत्येक शिरोबिंदु का फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम निर्धारित करने के लिए, शिरोबिंदुओं में आवृत्तियों के शुरूआती और समापन बिंदु, दोनों को परिभाषित करने की आवश्यकता थी। एक तालिका तैयार करने के बाद, जो कीने के लिए आधार से शीर्ष तक 25 स्तरों को परिभाषित करती है, यह स्पष्ट हो गया कि इनमें से प्रत्येक स्तर मानव शरीर के बेहतर स्वास्थ्य के लिए अपने आप में एक संपूर्ण अनुप्रयोग प्रणाली समाहित किए हुए है :
- मनोदैहिक स्तर
- नियंत्रण स्तर
- अंग का स्तर
- शिरोबिंदु स्तर
- चक्र स्तर
- वानस्पतिक स्तर
- अंग विषहरण स्तर
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